National Food Security Act : राशन कार्ड धारकों के लिए बड़ी खबर, NFSA में चौंकाने वाले सरकारी फायदे

National Food Security Act – राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत देश में गरीबी व भूखमरी की समस्या को खत्म करना उद्देश्य व राशन व सब्सिडी देय है।

क्या सस्ते अनाज ने मिटा दी गरीबों की भूख ? 

यह सवाल जटिल है और इसका सीधा जवाब देना मुश्किल है। सस्ते अनाज की योजनाओं ने निश्चित रूप से लाखों लोगों को भूख से बचाया है और खाद्य सुरक्षा में सुधार किया है। लेकिन क्या इन योजनाओं ने पूरी तरह से गरीबों की भूख मिटा दी है? इसका जवाब है – नहीं। सस्ते अनाज की योजनाएं गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा हैं, लेकिन ये अकेले ही कुपोषण की समस्या का समाधान नहीं कर सकती हैं। एक समग्र दृष्टिकोण अपनाकर ही हम भारत में कुपोषण और खाद्य असुरक्षा की समस्या से निपट सकते हैं। Food security यानि खाद्य सुरक्षा है। 1996 में विश्व खाद्य शिखर सम्मेलन के दौरान यह साफ हुआ कि खाद्य सुरक्षा केवल भोजन उपलब्ध कराना नहीं है, बल्कि हर नागरिक को पोषण युक्त और सुलभ भोजन सुनिश्चित करना है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 इसी सोच का परिणाम है। इसके तहत देश के कमजोर और गरीब वर्ग को सब्सिडी पर भोजन उपलब्ध कराना है। FAO (Food and Agriculture Organization) के अनुसार, “खाद्य सुरक्षा” का अर्थ है कि सभी लोगों को हर समय पर्याप्त, सुरक्षित और पोषणयुक्त भोजन प्राप्त हो सके।

Food Security in India : राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) ने भारत में भूख और कुपोषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, अभी भी इसे जमीनी स्तर पर और प्रभावी बनाने की जरूरत है। भारत सरकार का भविष्य का दृष्टिकोण और योजनाएं इस समस्या को समाप्त करने में मददगार साबित हो सकती हैं। वैश्विक अनुभवों से सीखकर और तकनीकी साधनों का उपयोग करके हम एक मजबूत और समृद्ध खाद्य सुरक्षा तंत्र बना सकते हैं।

NFSA : राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 भारत सरकार द्वारा 10 सितंबर 2013 को अधिसूचित किया गया था। इसका उद्देश्य मानव जीवन चक्र दृष्टिकोण में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा प्रदान करना है, ताकि गरिमा के साथ जीवन जीने हेतु लोगों को सस्ती कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध हो सके। इसके तहत, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के माध्यम से 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को शामिल किया गया है, जिससे लगभग 67 करोड़ लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

NFSA को लागू करने की पृष्ठभूमि में कई कारण थे- 
  1. गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाली आबादी: लाखों लोग आज भी दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करते हैं।
  2. खाद्यान्न का बर्बादी: फसलों की अधिकता के बावजूद उचित वितरण प्रणाली के अभाव में अनाज बर्बाद हो रहा था।
  3. कुपोषण और भूखमरी: ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का प्रदर्शन चिंताजनक रहा।

NFSA की ताकत क्या है?

  1. सस्ती दर पर अनाज: NFSA के तहत गरीब परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो अनाज (गेहूं, चावल, बाजरा) क्रमश: 2 रुपये, 3 रुपये और 1 रुपये प्रति किलो की दर पर दिया जाता है।
  2. कवर की गई आबादी: ग्रामीण क्षेत्रों में 75% और शहरी क्षेत्रों में 50% आबादी को इसका लाभ मिलता है।
  3. महिलाओं को प्राथमिकता: राशन कार्ड पर परिवार की मुखिया महिला को बनाना अनिवार्य किया गया है।
  4. मुफ्त भोजन योजना: गर्भवती महिलाओं, बच्चों और वृद्धजनों के लिए विशेष प्रावधान।
  5. टीपीडीएस: NFSA लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System) पर आधारित है।
  6. पारदर्शिता: अधिनियम में पारदर्शिता लाने के लिए कई उपाय किए गए हैं, जैसे कि लाभार्थियों की सूची का प्रकाशन।

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NFSA एक क्रांतिकारी कदम है, लेकिन इसे लागू करने में कई चुनौतियां सामने आईं-

  1. जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में गड़बड़ियां आम बात हैं।
  2. तकनीकी समस्याएं: डिजिटल राशन कार्ड और बायोमेट्रिक सत्यापन के बावजूद, कई बार लोग लाभ से वंचित रह जाते हैं।
  3. खाद्यान्न वितरण में असमानता: दूरदराज के क्षेत्रों में समय पर राशन पहुंचाना मुश्किल है।
  4. कुपोषण का समाधान नहीं: केवल अनाज उपलब्ध कराने से पोषण संबंधी आवश्यकताएं पूरी नहीं होतीं।

विश्व में खाद्य असुरक्षा के कारण :

  1. जलवायु परिवर्तन: सूखा और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं कृषि को प्रभावित करती हैं।
  2. युद्ध और संघर्ष: कई देशों में युद्ध के कारण खाद्य आपूर्ति बाधित होती है।
  3. आर्थिक असमानता: गरीब देशों में भोजन की खरीद शक्ति बेहद कम है।

वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा योजनाएं

  1. WFP (World Food Programme): यह भूखमरी समाप्त करने के लिए कार्यरत है।
  2. FAO की पहल: टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  3. SDGs (Sustainable Development Goals): 2030 तक भूखमरी समाप्त करना।

भारत में खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता क्यों ?

  1. गरीबी का व्यापक स्तर: भारत में लाखों लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करते हैं।
  2. कुपोषण की समस्या: महिलाओं और बच्चों में एनीमिया और कुपोषण की उच्च दर।
  3. असमान खाद्य वितरण: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खाद्य उपलब्धता में अंतर।

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भारत की खाद्य सुरक्षा योजनाएं

  1. Public Distribution System (PDS): सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सस्ता राशन उपलब्ध कराना।

  2. मिड-डे मील योजना: सरकारी स्कूलों में बच्चों को मुफ्त भोजन।
  3. अन्नपूर्णा योजना: वृद्धजनों के लिए मुफ्त राशन।
  4. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना: कोविड-19 के दौरान गरीब परिवारों को मुफ्त राशन।
Government Schemes for Food Security :  मौजूदा चुनौतियां और समाधान 
  1. लाभार्थियों की पहचान: कई गरीब परिवार योजनाओं से बाहर रह जाते हैं।
    • समाधान: डिजिटल और बायोमेट्रिक सत्यापन में सुधार।
  2. भ्रष्टाचार: अनाज की कालाबाजारी।
    • समाधान: जीपीएस आधारित ट्रैकिंग सिस्टम लागू करना।
  3. पोषण का अभाव: केवल कैलोरी आधारित भोजन देना पर्याप्त नहीं।
    • समाधान: राशन में दाल, तेल और पोषणयुक्त खाद्य पदार्थ जोड़ना।

भविष्य के लिए सरकार की योजना

  1. डिजिटल भारत के साथ जुड़ाव: हर राशन कार्ड को आधार से लिंक करना।
  2. पोषण आधारित योजनाएं: NFSA को मील प्लान्स और पोषण युक्त आहार से जोड़ना।
  3. स्मार्ट वितरण प्रणाली: तकनीक आधारित प्रणाली से भ्रष्टाचार कम करना।
  4. वैश्विक साझेदारी: खाद्य सुरक्षा में वैश्विक संगठनों के साथ सहयोग बढ़ाना।

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FAQ : खाद्य सुरक्षा से जुड़े सवाल- जवाब

प्रश्न: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 का मुख्य उद्देश्य क्या है? उत्तर: इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य सस्ती कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराकर खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत कितनी प्रतिशत ग्रामीण और शहरी आबादी को शामिल किया गया है? उत्तर: 75% ग्रामीण और 50% शहरी आबादी को शामिल किया गया है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत किसे प्राथमिकता दी जाती है? उत्तर: गरीब, कमजोर और वंचित वर्गों को प्राथमिकता दी जाती है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत किसे खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है? उत्तर: पात्र परिवारों को सस्ती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत मातृत्व लाभ किसे प्रदान किया जाता है? उत्तर: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को मातृत्व लाभ प्रदान किया जाता है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत बच्चों को क्या लाभ मिलता है? उत्तर: 14 वर्ष तक के बच्चों को पोषणाहार सहायता प्रदान की जाती है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत वृद्धजनों को क्या लाभ मिलता है? उत्तर: वृद्धजनों को पोषणाहार सहायता प्रदान की जाती है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत अपात्र लाभार्थियों की पहचान कैसे की जाती है? उत्तर: सामाजिक-आर्थिक जनगणना (SECC) के आधार पर अपात्र लाभार्थियों की पहचान की जाती है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत खाद्यान्न की आपूर्ति किस माध्यम से की जाती है? उत्तर: खाद्यान्न की आपूर्ति सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से की जाती है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत खाद्यान्न की दरें क्या हैं? उत्तर: गेहूं ₹2 प्रति किलो, चावल ₹3 प्रति किलो और मोटे अनाज ₹1 प्रति किलो की दर से उपलब्ध कराए जाते हैं। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत खाद्यान्न की गुणवत्ता की निगरानी कौन करता है? उत्तर: राज्य सरकारें और संबंधित विभाग खाद्यान्न की गुणवत्ता की निगरानी करते हैं। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत खाद्यान्न वितरण में पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित की जाती है? उत्तर: सूचना का अधिकार (RTI) और सामाजिक ऑडिट के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत खाद्यान्न वितरण में भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए क्या उपाय किए गए हैं? उत्तर: ई-गवर्नेंस, डिजिटल भुगतान और सार्वजनिक निगरानी के माध्यम से भ्रष्टाचार की रोकथाम की जाती है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत खाद्यान्न वितरण में महिलाओं की भूमिका क्या है? उत्तर: महिलाओं को खाद्यान्न वितरण में सक्रिय भागीदारी और निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत खाद्यान्न वितरण में बच्चों की भूमिका क्या है? उत्तर: बच्चों को पोषणाहार सहायता प्रदान की जाती है, जिससे उनकी स्वास्थ्य और विकास में सुधार होता है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत खाद्यान्न वितरण में वृद्धजनों की भूमिका क्या है? उत्तर: वृद्धजनों को पोषणाहार सहायता प्रदान की जाती है, जिससे उनकी स्वास्थ्य और जीवन गुणवत्ता में सुधार होता है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत खाद्यान्न वितरण में विकलांग व्यक्तियों की भूमिका क्या है? उत्तर: विकलांग व्यक्तियों को विशेष सहायता और सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत खाद्यान्न वितरण में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की भूमिका क्या है? उत्तर: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को प्राथमिकता दी जाती है और उन्हें विशेष सहायता प्रदान की जाती है। प्रश्न: इस अधिनियम के तहत खाद्यान्न वितरण में अल्पसंख्यक समुदायों की भूमिका क्या है? उत्तर: अल्पसंख्यक समुदायों को समान अवसर और सहायता प्रदान की जाती है। https://youtu.be/Xlivsikxz1s?si=FIGbyNKNGz6Td3gy

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