Child Helpline Number : चाइल्डलाइन 1098 एक ऐसा आपातकालीन फोन नंबर है, जो भारत भर के लाखों बच्चों के लिए एक उम्मीद की किरण है। यह एक 24 घंटे, 365 दिन मुफ़्त सेवा है, जो संकट में फंसे बच्चों को सहायता और उनकी देखभाल तथा सुरक्षा सुनिश्चित करती है। यह सेवा न केवल तत्काल सहायता प्रदान करती है, बल्कि बच्चों को उनके दीर्घकालिक पुनर्वास और देखभाल के लिए सही संसाधनों से जोड़ने में भी मदद करती है। आज तक, इस सेवा ने पूरे देश में तीन मिलियन से अधिक बच्चों की सहायता की है। चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (सीआईएफ) भारत में बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए काम करने वाली एक प्रमुख संस्था है। यह संस्था देश भर में चाइल्डलाइन 1098 सेवा को चलाने और मजबूत बनाने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से अधिकृत है। सीआईएफ बच्चों की सुरक्षा के लिए कई तरह के काम करती है जैसे कि चाइल्डलाइन सेवाओं की स्थापना, इन सेवाओं का प्रबंधन, बच्चों की मदद के लिए प्रशिक्षित लोगों को तैयार करना, बच्चों के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाना और इस सेवा के लिए धन जुटाना। सीआईएफ का मुख्य उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना है।
Child helpline in hindi : चाइल्डलाइन की शुरुआत और विकास
Child helpline in hindi : चाइल्डलाइन की नींव जून 1996 में टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (TISS) मुंबई के परिवार एवं बाल कल्याण विभाग की एक क्षेत्रीय परियोजना के रूप में रखी गई थी। इस महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत प्रोफेसर सुश्री जेरू बिलिमोरिया ने की थी। उन्होंने मुंबई के रेलवे स्टेशनों और रैन बसेरों में रहने वाले बच्चों के साथ बातचीत करना शुरू किया। धीरे-धीरे, संकट में फंसे बच्चे रात और दिन के किसी भी समय सुश्री बिलिमोरिया से मदद मांगने लगे। सुश्री बिलिमोरिया ने इन बच्चों की समस्याओं को समझा और उनकी मदद करने की ठानी। हालाँकि, उन्होंने जल्द ही महसूस किया कि अकेले दम पर इतने सारे बच्चों की मदद करना संभव नहीं है। बच्चों की बढ़ती संख्या और उनकी विभिन्न समस्याओं ने एक ऐसी व्यवस्था की मांग की जो 24 घंटे उपलब्ध हो और बच्चों को तत्काल मदद प्रदान कर सके। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, चाइल्डलाइन की अवधारणा को जन्म दिया गया। चाइल्डलाइन ने एक ऐसी हेल्पलाइन सेवा शुरू की जिस पर बच्चे अपनी समस्याओं को बता सकते थे। यह सेवा बच्चों को सुरक्षित और भरोसेमंद माहौल प्रदान करती थी जहां वे बिना किसी डर के अपनी बात रख सकते थे। धीरे-धीरे, चाइल्डलाइन ने देश के विभिन्न हिस्सों में अपना विस्तार किया और आज यह भारत में बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए काम करने वाली एक प्रमुख संस्था है।
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Child helpline number india : चाइल्डलाइन 1098 : बच्चों की आवाज़ बनती एक यात्रा
Child helpline number india : जब सुश्री बिलिमोरिया ने पाया कि वे अकेले दम पर सड़क पर रहने वाले बच्चों की सारी समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रही हैं, तो उन्होंने एक ऐसे समाधान की तलाश शुरू की जो इन बच्चों को तुरंत मदद पहुंचा सके। उन्हें एहसास हुआ कि एक टेली-हेल्पलाइन इस समस्या का समाधान हो सकती है, जहां बच्चे अपनी समस्याओं को किसी भी समय फोन करके बता सकें और तुरंत मदद पा सकें। लेकिन यह इतना आसान नहीं था। जब बच्चों को इस विचार के बारे में बताया गया तो उन्हें कई चिंताएं थीं। वे पूछते थे कि वे इतने सारे नंबर कैसे याद रखेंगे, खासकर जब वे एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते थे। इसके अलावा, फोन करने के लिए पैसे खर्च होते थे और वे इस बात से चिंतित थे कि उनके पास पैसे नहीं होंगे। इन चिंताओं को दूर करने और बच्चों के लिए एक आसान और मुफ्त समाधान प्रदान करने के लिए, सुश्री बिलिमोरिया और उनकी टीम ने एक राष्ट्रीय टोल-फ्री नंबर 1098 की स्थापना का लक्ष्य रखा। लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं था। बच्चों के लिए यह नंबर स्थापित करने में तीन साल लग गए। इस दौरान, बच्चों को अपनी मांगों को मनवाने के लिए दो बार धरना देना पड़ा और उन्होंने भूख हड़ताल की भी धमकी दी। बच्चों की दृढ़ इच्छाशक्ति और उनके समर्थकों के अथक प्रयासों के कारण अंततः चाइल्डलाइन 1098 की स्थापना हुई। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी क्योंकि यह पहली बार था जब भारत में बच्चों के लिए एक राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन सेवा शुरू की गई थी। इस सेवा ने बच्चों को सशक्त बनाया और उन्हें अपनी समस्याओं के समाधान के लिए एक मंच प्रदान किया। जब चाइल्डलाइन 1098 नंबर को अंतिम रूप दिया जा रहा था, तब एक छोटी सी, लेकिन महत्वपूर्ण समस्या सामने आई। यह संख्या बच्चों के लिए याद रखने में थोड़ी मुश्किल लग रही थी। ‘एक-शून्य-नौ-आठ’ कोई ऐसा नंबर नहीं था जिससे बच्चों का कोई खास जुड़ाव हो। संख्याओं का कोई क्रम या कोई कहानी नहीं थी जिससे बच्चे इस नंबर को आसानी से याद रख सकें। लेकिन, जैसा कि अक्सर होता है, बच्चों ने ही इस समस्या का समाधान निकाला। उनकी सरलता और तर्कशीलता ने इस समस्या का हल ढूंढ निकाला। बच्चों में से एक ने सुश्री बिलिमोरिया को सुझाव दिया कि इस नंबर को ‘दस-नौ-आठ’ कहा जाए। यह सुझाव सुनकर सभी हैरान रह गए। बच्चों ने एक ऐसी बात सोची थी जिस पर बड़ों ने कभी ध्यान नहीं दिया था। यह घटना बताती है कि बच्चे कितने तेज और समझदार होते हैं। उन्होंने एक ऐसी बात को पहचान लिया था जिसे बड़े लोग नज़रअंदाज कर गए थे। बच्चों की इस सरलता और रचनात्मकता के कारण ही आज चाइल्डलाइन 1098 नंबर बच्चों के लिए एक आसानी से याद रखने वाला नंबर बन गया है। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा बच्चों की बातों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि उनमें कई बार ऐसे विचार छिपे होते हैं जो बड़ों को आश्चर्यचकित कर सकते हैं।
What is child helpline? : चाइल्डलाइन का प्रतीक चिन्ह
What is child helpline? : जब चाइल्डलाइन सेवा के लिए एक लोगो बनाने की बात आई, तो सड़क पर रहने वाले बच्चों ने ही इस पर अपनी राय रखी। उनके लिए, लोगो सिर्फ एक तस्वीर नहीं थी, बल्कि चाइल्डलाइन सेवा की पहचान थी। वे चाहते थे कि लोगो ऐसा हो जो दूसरे बच्चों को 1098 नंबर आसानी से याद दिलाए। बच्चों ने सुझाव दिया कि लोगो में एक ‘बिंदास’ लड़के की तस्वीर होनी चाहिए। वे कहते थे, “हम अपने दर्द को छुपाना जानते हैं, क्या आपने कभी हमें रोते हुए देखा है?” उनके अनुसार, एक मुस्कुराता हुआ बच्चा यह संदेश देगा कि चाइल्डलाइन बच्चों को खुश करती है। अगर चाइल्डलाइन बच्चों को खुश नहीं करती तो वे क्यों फोन करेंगे? बच्चों के इन विचारों को ध्यान में रखते हुए, चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन की स्थापना 1999 में हुई। इस संस्था का लक्ष्य था कि हर बच्चे को उसके अधिकार मिलें और वे सुरक्षित महसूस करें। 1997 और 2000 के बीच, सरकार ने चाइल्डलाइन सेवा को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने का फैसला किया। सरकार ने यह वादा किया कि साल 2002 तक देश के हर उस शहर में, जहां 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, वहां चाइल्डलाइन सेवा शुरू कर दी जाएगी। इस तरह, सरकार ने बच्चों के अधिकारों के लिए एक मजबूत नींव रखी।
Child Helpline 1098 : चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन की प्रमुख भूमिकाएँ
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Child Helpline 1098 : नोडल एजेंसी का दर्जा: वर्ष 2006-07 में, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन को देश भर में चाइल्डलाइन सेवाओं को स्थापित करने के लिए एक प्रमुख एजेंसी का दर्जा दिया।
- एक छत्र संगठन: फाउंडेशन विभिन्न स्थानों पर केंद्रों की पहचान, सहायता सेवाएं प्रदान करना और सेवा वितरण की निगरानी करने के लिए एक एकीकृत संगठन के रूप में काम करता है।
- मंत्रालय और एनजीओ के बीच कड़ी: फाउंडेशन सरकार और क्षेत्रीय गैर सरकारी संगठनों के बीच एक सेतु का काम करता है, जिससे सेवाओं का समन्वय और प्रभावशीलता बढ़ती है।
- किशोर न्याय अधिनियम में उल्लेख: चाइल्डलाइन 1098 सेवा को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 में विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है, जो इसकी महत्वता को दर्शाता है।
- व्यापक पहुंच: 15 नवंबर, 2021 तक, चाइल्डलाइन सेवाएँ 602 शहरों और जिलों में उपलब्ध हैं, जो भारत के 81% से अधिक भूभाग को कवर करती हैं।
- विस्तृत नेटवर्क: चाइल्डलाइन 1080 भागीदार संगठनों और रेलवे स्टेशनों तथा बस टर्मिनलों पर स्थापित हेल्प डेस्क के एक व्यापक नेटवर्क के माध्यम से संचालित होती है।
- केंद्रीकृत कॉल सेंटर: चाइल्डलाइन 6 क्षेत्रीय स्थानों से केंद्रीकृत कॉल सेंटर संचालित करती है।
- बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत बनाना: चाइल्डलाइन सेवा न केवल बच्चों की सुनती है बल्कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
How does Child Line work? : चाइल्डलाइन की कार्य प्रक्रिया
How does Child Line work? : चाइल्डलाइन एक ऐसी सेवा है जो बच्चों को सुरक्षा और मदद प्रदान करती है। जब कोई बच्चा मुश्किल में होता है, तो वह या कोई और व्यक्ति चाइल्डलाइन के टोल-फ्री नंबर 1098 पर कॉल कर सकता है।
चाइल्डलाइन की कार्य प्रक्रिया इस प्रकार है:
- कॉल प्राप्त करना: जब कोई बच्चा या वयस्क चाइल्डलाइन पर कॉल करता है, तो कॉल को एक चाइल्डलाइन केंद्र में प्राप्त किया जाता है।
- सूचना एकत्र करना: कॉल करने वाले व्यक्ति से बच्चे की समस्या के बारे में सभी जरूरी जानकारी ली जाती है।
- तुरंत कार्रवाई: अगर बच्चा किसी खतरे में है, तो चाइल्डलाइन की टीम 60 मिनट के अंदर बच्चे को बचाने के लिए पहुंच जाती है।
- अन्य लोगों के साथ मिलकर काम करना: चाइल्डलाइन बच्चे की मदद के लिए पुलिस, बाल कल्याण बोर्ड, और अन्य लोगों के साथ मिलकर काम करती है।
- बच्चे का पुनर्वास: चाइल्डलाइन यह सुनिश्चित करती है कि बच्चा सुरक्षित जगह पर रहे। इसके लिए, चाइल्डलाइन बच्चे के परिवार से मिलती है या अगर जरूरत हो तो बच्चे को किसी आश्रय में रखवाती है।
Childline India : चाइल्डलाइन का दृष्टिकोण
Childline India : चाइल्डलाइन का मुख्य उद्देश्य है हर बच्चे तक पहुंचना और उनके अधिकारों की रक्षा करना। इसके लिए चाइल्डलाइन चार मुख्य सिद्धांतों पर काम करती है:
- संपर्क (Connect): चाइल्डलाइन तकनीक का उपयोग करके अधिक से अधिक बच्चों तक पहुंचने की कोशिश करती है।
- उत्प्रेरित करना (Catalize): चाइल्डलाइन सरकार और अन्य संस्थाओं को बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने के लिए प्रेरित करती है।
- सहयोग (Collaborate): चाइल्डलाइन बच्चों, सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और समुदाय के साथ मिलकर काम करती है।
- संवाद (Communicate): चाइल्डलाइन लोगों को बच्चों के अधिकारों के बारे में जागरूक करती है।
हर कॉल महत्वपूर्ण है
चाइल्डलाइन को आने वाली हर कॉल को महत्वपूर्ण माना जाता है, चाहे वह आपातकालीन हो या नहीं। यहां तक कि अगर कोई बच्चा शरारत से कॉल करता है, तो भी चाइल्डलाइन उसे गंभीरता से लेती है। इसका कारण यह है कि:
- विश्वास बनाना: यह बच्चे को यह महसूस कराता है कि उसे गंभीरता से लिया जाता है और वह भविष्य में भी मदद के लिए चाइल्डलाइन पर भरोसा कर सकता है।
- जानकारी प्राप्त करना: कभी-कभी वयस्क भी चाइल्डलाइन को जानकारी के लिए कॉल करते हैं, जिससे बच्चों की मदद करने में और लोगों की भागीदारी बढ़ सकती है।
बच्चों को शामिल करना और सहयोगी दृष्टिकोण
चाइल्डलाइन बच्चों को केंद्र में रखकर काम करती है। इसका मतलब है कि बच्चों की राय और उनकी ज़रूरतों को हमेशा ध्यान में रखा जाता है।
- बच्चों की भागीदारी: चाइल्डलाइन बच्चों को अपनी समस्याओं को समझने और उनके समाधान ढूंढने में मदद करती है। बच्चों की सहमति के बिना कोई भी फैसला नहीं लिया जाता।
- सभी के साथ मिलकर काम करना: चाइल्डलाइन अकेले नहीं, बल्कि कई संगठनों जैसे पुलिस, अस्पताल, स्कूल आदि के साथ मिलकर काम करती है।
- पारदर्शिता: चाइल्डलाइन अपने काम के बारे में खुलकर बात करती है और बच्चों को भी बताती है कि उनके मामले में क्या हो रहा है।
क्यों बच्चों को शामिल करना ज़रूरी है?
- बच्चे को समझना: जब बच्चे अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात करते हैं, तो उनकी ज़रूरतों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।
- बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाना: जब बच्चे फैसले लेने में शामिल होते हैं, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
- समाधान ढूंढना: बच्चे अक्सर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अच्छे सुझाव देते हैं।
चाइल्डलाइन का अनूठा साझेदारी मॉडल
चाइल्डलाइन एक अद्वितीय मॉडल पर काम करती है जो विभिन्न संस्थाओं और व्यक्तियों के सहयोग पर आधारित है। यह भारत सरकार, दूरसंचार विभाग, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थानों, कॉर्पोरेट क्षेत्र, बच्चों और समुदाय के लोगों के बीच साझेदारी का एक मंच है।
कैसे काम करता है यह मॉडल?
चाइल्डलाइन की मुख्य भूमिका एक कड़ी की तरह है जो बच्चों को उनकी ज़रूरत की सेवाओं से जोड़ती है। जब कोई बच्चा या कोई और व्यक्ति चाइल्डलाइन पर कॉल करता है, तो चाइल्डलाइन उन्हें तुरंत मदद पहुंचाने की कोशिश करती है। चाहे बच्चे को सलाह चाहिए हो, या कोई आपातकालीन स्थिति हो, चाइल्डलाइन उस बच्चे को सही जगह तक पहुंचाती है।
चाइल्डलाइन नई-नई संस्थाएं बनाने की जगह मौजूदा संसाधनों का उपयोग करती है। जैसे कि अस्पताल, पुलिस स्टेशन, आश्रय गृह आदि। चाइल्डलाइन इन सभी संस्थाओं को आपस में जोड़कर बच्चों को बेहतर मदद पहुंचाती है।
क्यों जरूरी है यह मॉडल?
चाइल्डलाइन का मानना है कि देश के सभी बच्चों तक पहुंचने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। इसीलिए चाइल्डलाइन विभिन्न संस्थाओं और लोगों के साथ साझेदारी करके काम करती है। यह मॉडल हमें अधिक से अधिक बच्चों तक पहुंचने में मदद करता है और बच्चों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
चाइल्डलाइन की परिचालन संरचना और प्रक्रियाएँ
चाइल्डलाइन एक जटिल नेटवर्क है जो विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों के सहयोग से संचालित होता है। यह नेटवर्क बच्चों को सुरक्षा और मदद प्रदान करने के लिए कई स्तरों पर काम करता है। आइए चाइल्डलाइन की परिचालन संरचना और प्रक्रियाओं को विस्तार से समझते हैं:
1. चाइल्डलाइन संपर्क केंद्र (सीसीसी)
- केंद्रीकृत कॉल हैंडलिंग: सीसीसी देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित 24 घंटे काम करने वाले केंद्र हैं जो बच्चों और उनके देखभाल करने वालों से आने वाली कॉलों का जवाब देते हैं।
- भाषाओं की विविधता: इन केंद्रों में विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में कॉल का उत्तर दिया जाता है ताकि अधिक से अधिक बच्चों तक पहुंचा जा सके।
- विशाल कॉल वॉल्यूम: सीसीसी हर महीने लाखों कॉलों का निपटारा करता है।
- प्रशिक्षित कर्मचारी: कॉल का जवाब देने वाले कर्मचारी विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं ताकि वे संवेदनशील मामलों को संभाल सकें।
- नेटवर्किंग: सीसीसी देश भर के विभिन्न संगठनों, पुलिस, अस्पतालों आदि के साथ जुड़ा हुआ है ताकि बच्चों को तुरंत मदद मिल सके।
2. नोडल संगठन
- समन्वय और प्रशिक्षण: नोडल संगठन चाइल्डलाइन के विभिन्न पहलुओं जैसे समन्वय, प्रशिक्षण, अनुसंधान आदि को देखता है।
- शहर समन्वयक: शहर समन्वयक स्थानीय स्तर पर चाइल्डलाइन की गतिविधियों की देखरेख करता है।
3. आपातकालीन हस्तक्षेप केंद्र (सहयोगी भागीदार)
- हस्तक्षेप: ये संगठन सीसीसी से प्राप्त कॉल के आधार पर बच्चों की मदद के लिए तुरंत कार्रवाई करते हैं।
- टीम: इन केंद्रों में एक विशेष टीम होती है जो आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित होती है।
4. चाइल्डलाइन सहायता एजेंसियाँ/उप-केंद्र
- स्थानीय स्तर पर काम: ये केंद्र ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में काम करते हैं और स्थानीय समुदाय के साथ मिलकर काम करते हैं।
- समुदाय की भागीदारी: ये केंद्र स्थानीय लोगों, जैसे महिला समाख्या सदस्यों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं आदि को शामिल करते हैं।
- बच्चों का अनुसरण: ये केंद्र उन बच्चों का अनुसरण करते हैं जिन्हें मदद दी गई है।
5. चाइल्डलाइन सलाहकार बोर्ड या जिला सलाहकार समिति (डीएसी)
- निर्णय लेने वाला निकाय: यह बोर्ड चाइल्डलाइन के लिए नीतिगत निर्णय लेता है।
- सदस्य: इसमें कलेक्टर, स्वास्थ्य और शिक्षा अधिकारी और अन्य गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
6. संसाधन संगठन
- रेफरल सेंटर: ये संगठन चाइल्डलाइन को विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे कि चिकित्सा, कानूनी सहायता आदि।
- जागरूकता कार्यक्रम: ये संगठन चाइल्डलाइन के बारे में जागरूकता फैलाने में भी मदद करते हैं।